Sidhu Moose Wala Murder: एक दिन पहले ही सिद्धू मूसेवाला की सुरक्षा कम की गई थी वापस, विपक्ष ने भगवंत मान सरकार पर साधा निशाना
चंडीगढ़। कांग्रेस नेता और मशहूर गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद पंजाब की भगवंत मान सरकार सवालों के घेरे में गई है। पंजाब सरकार ने कल ही सिद्धू मूसेवाला सुरक्षा में कमी कर दी थी। कांंग्रेस , भाजपा और शिरोमणि अकाली दल के नेताओं ने सिद्धू मूसेवाला की सुरक्षा कमी किए जाने और इसके बाद उनकी हत्या को लेकर भगवंत मान सरकार पर हमला किया है। विपक्षी नेताओं ने कहा है कि सिद्धू मूसेवाला को पहले से काफी खतरा था। ऐसे में उनकी सुरक्षा क्यों हटाई गई। भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा व अन्य नेताओंं ने कहा कि पंंजाब की भगवंत मान सरकार ने राजनीतिक वाह-वाही लेने के लिए सुरक्षा हटाकर इसकी जानकारी सार्वजनिक कर दी। उन्होंंने हत्या के लिए पंजाब सरकार को जिम्मेदार ठहराया। बता दें कि पंजाब सरकार ने वीआइपी सुरक्षा में कटौती करते हुए शनिवार को कई धर्मगुरुओं, विधायकों व पुलिस अधिकारियों समेत 424 लोगों की सुरक्षा में कमी कर दी। इनमें श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह, डेरा राधा स्वामी सत्संग ब्यास के प्रमुख गुरिंदर सिंह ढिल्लों व पंजाब के शाही इमाम मौलाना मोहम्मद उस्मान रहमानी व गायक सिद्धू मुसेवाला भी शामिल थे।वहीं, कुछ सिख संगठनों की आलोचना के बाद सरकार ने ज्ञानी हरप्रीत सिंह की सुरक्षा बहाल कर दी। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने दावा किया कि जत्थेदार ने इसे वापस लेने से इन्कार कर दिया। इसके बाद एसजीपीसी के अध्यक्ष के आदेश पर एसजीपीसी की टास्क फोर्स के कर्मचारियों का एक हथियारबंद दस्ता जत्थेदार की सुरक्षा में तैनात कर दिया गया।उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले ही ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने बयान दिया था कि सिखों को सुरक्षा के लिए लाइसेंसी हथियार रखने चाहिए। इस बयान की मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आलोचना की थी।
जिन अन्य धर्मगुरुओं की सुरक्षा वापस ली गई है, उनमें डेरा रुमीवाला भुच्चो मंडी (बठिंडा) के प्रमुख बाबा सुखदेव सिंह, डेरा सचखंड बल्लां के प्रमुख संत निरंजन दास, लुधियाना स्थित भैणी साहिब के प्रमुख सतगुरु उदय सिंह, श्री दरबार साहिब के हेड ग्रंथी ज्ञानी जगतार सिंह भी शामिल हैं।
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राहुल गांधी आज करेंगे पंजाब में सीएम फेस का एलान, लुधियाना में होगी वर्चुअल रैली, राज्य कांग्रेस प्रभारी ने की पुष्टि
चंडीगढ़। Punjab Assembly Election 2022: पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का मुख्यमंत्री चेहरा कौन होगा, इस पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। कांंग्रेस इसके लिए फोन पर रायशुमारी करा रही है। पंजाब कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ने भी अब पुष्टि की है कि पंजाब में कांग्रेस के सीएम फेस का ऐलान 6 फरवरी को हो जाएगा। उन्होंंने कहा है कि 6 फरवरी को राहुल गांधी लुधियाना में वर्चुअल रैली को संबोधित करेंगे और यहीं पर मुख्यमंत्री के चेहरा का भी ऐलान किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि राज्य के सभी 117 विधानसभा क्षेत्रों से पार्टी के उम्मीदवार चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए तय संख्या में पार्टी वर्करों और लोगों को वर्चुअल रैली से जुड़ेंगे। कांग्रेस भवन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए एक सवाल के जवाब में चौधरी न कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू और चरणजीत सिंह चन्नी ने राहुल गांधी को भरोसा दिलवाया है कि जिसे भी मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया जाएगा, दूसरा उसे स्वीकार करेगा और पूरी तनदेही के साथ काम करेगा। यह भरोसा दोनों ही नेताओं ने पंजाब के लोगों से ही किया है।बता दें कि मुख्यमंत्री का चेहरे को लेकर चरणजीत सिंह चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू दोनों ही दावेदार है। कांग्रेस पार्टी द्वारा मोबाइल पर करवाए जा रहे सर्वे में भी इन्हीं दोनों में से किसी एक को मुख्यमंत्री चुनने या न चुनने का विकल्प दिया गया है। हालांकि पार्टी लगातार यह संकेत देती रही है कि चरणजीत सिंह चन्नी ही पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 (Punjan Assembly Election 2022) में कांग्रेस का मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगे।
एक सवाल के जवाब में हरीश चौधरी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का इतिहास 100 साल पुराना है। उसके पास लोगों की राय जानने व कार्यकर्ताओं की भावनाओं को समझने के कई तरीके है। जब इलेक्ट्रानिक युग नहीं था तब भी पार्टी मुख्यमंत्री की घोषणा करती रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी लोगों द्वारा लिए गए राय और उनके फीडबैक को सार्वजनिक नहीं करेगी। कांग्रेस आम आदमी पार्टी की तरह ढकोसला नहीं करने वाली है। आप ने तो मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने में भी पंजाब के लोगों को धोखा दिया। कांग्रेस अपनी प्रक्रिया को उजागर नहीं करेगी।
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PM Security Breach: सिद्धू ने उठाए सवाल, जब पीएम की सड़क मार्ग से जाने की नहीं थी योजना तो अचानक क्यों बदला प्लान
चंडीगढ़। पीएम सुरक्षा में हुई चूक के मुद्दे पर पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि बड़ी चालाकी से मामले को डायवर्ट किया जा रहा है। कहा कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा क्या केवल पंजाब पुलिस तक सीमित है, क्या इसमें रा, आइबी की कोई भूमिका नहीं है। सिद्धू ने कहा कि जब यह प्लान ही नहीं था कि पीएम सड़क मार्ग से जाएंगे तो यह प्लान कब और कैसे बदला। चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत करते हुए नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि भाजपा पहली बार ऐसा नहीं कर रही। किसानों को एक साल तक आतंकवादी, खालिस्तानी का नाम दिया। देवता स्वरूप किसानों को आंदोलनजीवी तक कहा। पंजाब में 60 प्रतिशत किसान इनके विरोध में तो खड़े हो सकते हैं, लेकिन एक भी आदमी ऐसा नहीं होगा जिससे इनको जान का खतरा है। यह कहना है कि इनकी जान को खतरा है यह पंजाबियों पर कालिख पोतने का प्रयास है।
नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि प्रधानमंत्री जी आप सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के ही नहीं हैं। आप सबके प्रधानमंत्री है। आपकी जान की कीमत देश का बच्चा-बच्चा जानता है। आप ये कहकर कि यहां आपकी जान को खतरा था इस राज्य का, इसकी पंजाबियत का अपमान कर रहे हैं। नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि पंजाब में भाजपा का कोई जनाधार नहीं है। बस वह पंजाब को बदनाम कर दूसरे राज्यों में जैसे यूपी लड़ना चाहते हैं। जहां भी भाजपा ऐसे स्वांग रचाती है तो वहां मुद्दे पीछे हो जाते हैं। पिछले दो दिन से ऐसा ही अब पंजाब में हो रहा है। क्या कोई बेरोजगारी, आने वाली पीढ़ी के भविष्य पर कोई बात कर रहा है। सिद्धू ने कहा कि भाजपा ने ऐसे कुछ तोते रखे हुए हैं जो इनकी भाषा बोलते रहते हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी हैं। भाजपा की फिरोजपुर रैली में 70 हजार कुर्सी लगाई गई थी, लेकिन पंडाल खाली था, इसलिए सुरक्षा को बहाना बनाया जा रहा है।नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि पंजाब देश की ढाल है, इसलिए उस पर तोहमतें लगाना बंद करो। भाजपा पंजाबियों को बदनाम करने का प्रयास कर रही है, क्योंकि वह जानती है कि पंजाब में उनका कोई साथ नहीं देगा, इसीलिए पंजाब में राष्ट्रपति लगाने की बातें कर रहे हैं। इन्हें पता है कि इसी तरह से हम दिल्ली से पंजाब पर अपना शासन चला सकते हैं। सिद्धू ने कहा कि इस तरह की हरकतें पंजाब के चुनाव के समय ही क्यों होती हैं। सिद्धू ने कहा कि पीएम की सुरक्षा में कितनी एजेंसियां जुड़ी हुई हैं और वह किसी की नहीं सुनते। क्या उन्हें निर्देश देने की जरूरत है।
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पीएम की सुरक्षा में चूक मामले में गृह मंत्रालय की टीम ने 4.5 घंटे की पंजाब पुलिस अफसरों से पूछताछ, 40 मिनट पुल का निरीक्षण
फिरोजपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सुरक्षा में चूक की जांच के लिए फिरोजपुर पहुंची केंद्रीय गृह मंत्रालय की टीम ने शुक्रवार को एडीजीपी साइबर क्राइम नागेश्वर राव से 50 मिनट तक पूछताछ की।केंद्र की जांच टीम सुबह करीबन 10.20 पर फिरोजपुर के गांव प्यारेआना के उस फ्लाईओवर पर पहुंची, जहां बुधवार को किसानों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का काफिला रोका था। 40 मिनट तक चली जांच में अधिकारियों ने फ्लाईओवर के उन प्वाइंट की जांच की, जहां से किसान मुख्य मार्ग पर चढ़े थे। इसके बाद बीएसएफ हेडक्वार्टर फिरोजपुर में जांच टीम की सेक्रेटरी (सिक्योरिटी) कैबिनेट सेक्रेट्रीएट सुधीर कुमार सक्सेना लीड कर रहे थे।आइबी के ज्वाइंट डायरेक्टर बलबीर सिंह, एसपीजी के आइजी एस सुरेश टीम में शामिल थे।केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेशों पर गठित कमेटी शुक्रवार को सुबह चार बजे बीएसएफ हेडक्वार्टर पहुंच गई थी।टीम ने नेशनल हाईवे सहित बीएसएफ, पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ करीब 40 मिनट तक रोड के नक्शे को लेकर गहनता से जांच की। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने वायरल हुई वीडियो फुटेज और फोटो के आधार पर उस जगह की रेकी की, जिस जगह पीएम की गाड़ी खड़ी रही, उसके आसपास की सुरक्षा व्यवस्था जांचने के बाद बुधवार को ड्यूटी पर तैनात पुलिस अधिकारियों और मुलाजिमों से भी पूछताछ की गई। जांच टीम ने स्पाट साइट पर यह पता लगाने की कोशिश की आखिर किस रास्ते से प्रदर्शनकारी किसानों का काफिला पुल पर चढ़ा और कितनी दूरी तक जाम लगा रहा। टीम द्वारा किए जा रहे सवालों के जवाब देने में पुलिस अधिकारी भी नाकाम दिख रहे थे।
उसके बाद टीम ने बीएसएफ हेडक्वार्टर में पुलिस अधिकारियों के साथ पूछताछ की। इस पूछताछ में फिरोजपुर सहित मोगा, बठिंडा, फरीदकोट के पुलिस अधिकारी बताए जा रहे हैं। एडीजीपी साईबर क्राइम नागेश्वर राव से टीम सदस्यों ने करीब 50 मिनट तक पूछताछ की। बेशक अधिकारियों ने मीडिया से दूरी बनाए रखी, लेकिन सूत्रों ने खुलासा किया है कि प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि इस पूरे मामले में पुलिस उच्चाधिकारियों की लापरवाही के कारण ही पीएम के काफिले को इंतजार कर वापस लौटना पड़ा।जांच टीम ने हुसैनीवाला स्थित शहीदी स्थल का भी दौरा किया, जहां पर प्रधानमंत्री ने सबसे पहले शहीद-ए-आजम भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, बटुकेश्वर दत्त को श्रद्धासुमन अर्पित करने थे। टीम ने समाधि स्थल सहित उसके आसपास के वातावरण का भी दौरा किया।पीएम की सिक्योरिटी में सेंध के कारण पता करने के लिए जांच टीम ने पंजाब पुलिस के 14 अधिकारियों को बीएसएफ हेडक्वार्टर पहुंचने के निर्देश दिए थे। पंजाब के चीफ सेक्रेटरी अनिरुद्ध तिवारी को लिखे पत्र में ज्वाइंट सेक्रेटरी सिक्योरिटी डी साई अमुथा देवी ने डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपध्याय, एडीजीपी साइबर क्राइम नागेश्वर राव, एडीजीपी जितेंद्र जैन, आइजी पटियाला मुखविंदर सिंह छीन्ना, डीआइजी फिरोजपुर रेंज इंद्रबीर सिंह, डीआइजी फरीदकोट सुरजीत सिंह, डीसी फिरोजपुर दविंदर सिंह, एसएसपी फिरोजपुर हरमनदीप सिंह हांस, एसएसपी मोगा चरणजीत सिंह सोहल, कोटकपूरा के डयूटी मेजिस्ट्रेट वरिंदर सिंह, लुधियाना के ज्वाइंट कमिश्रर अंकुर महेन्द्रू, डीसी बठिंडा एपीएस संधू, एसएसपी बठिंडा अजय मलूजा सहित वीवीआइपी कंट्रोल रूम फिरोजपुर के इंचार्ज को 10 बजे बीएसएफ हेडक्वार्टर में पेश होने के निर्देश दिए थे।सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्रालय की टीम के सामने दस्तावेजों के साथ पेश हुए पुलिस अधिकारियों ने स्वयं को बचाने के लिए एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहे। टीम सदस्यों ने पुलिस के आफिशियल से सभी डाक्यूमेंट लेकर उनकी रीडिंग शुरू कर दी है, ताकि सही निर्णय पर पहुंचा जा सके।
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सिद्धू ने कांग्रेस में बढ़ाई बेचैनी, अमरिंदर के खिलाफ बना रहे रणनीति
पंजाब में विधानसभा चुनाव के लिए मुश्किल से 1 साल का वक्त बचा है। वहीं सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस के अंदर भी बेचैनी है। सूत्र बता रहे हैं कि पार्टी के अंदर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के विरोधियों ने उनके खिलाफ अब मोर्चा खोलने की तैयारी कर दी है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुखर आलोचक और उनके प्रतिद्वंदी नवजोत सिंह सिद्धू ने अपनी रणनीति के लिए कुछ मंत्रियों और विधायकों के साथ बैठक की है। अब तक अमरिंदर के खिलाफ नवजोत सिंह सिद्धू एकतरफा लड़ाई लड़ते हुए दिखाई दे रहे थे। हालांकि अब पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा और सांसद शमशेर सिंह दूलो भी कैप्टन अमरिंदर पर पलटवार कर रहे हैं।दावा किया जा रहा है कि नवजोत सिंह सिद्धू ने अब तक जेल मंत्री सुखजिंदर रंधावा और तकनीकी शिक्षा पर्यटन और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री चरणजीत चन्नी के साथ बैठक की है। इस बैठक में कुछ विधायकों के भी शामिल होने की खबर है। बताया जा रहा है कि प्रताप सिंह बाजवा के भाई फतेह जंग सिंह बाजवा, साथ में कुशलदीप सिंह ढिल्लो. बलविंदर लाडी और बरिंदरमीत सिंह पहरा शामिल थे। ग्रुप में शामिल लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री पर पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान किए गए वादों पर अमल करने के लिए दबाव बनाया जाएगा। इन बातों में बरगारी बलिदान और ड्रग माफिया पर शिकंजा कसना शामिल है। भले ही यह समूह कुछ भी रहे, लेकिन सच तो यही है कि नवजोत सिंह सिद्धू लगातार मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब देख रहे हैं। ऐसे में उन्हें लगता है कि जब तक कैप्टन अमरिंदर सिंह है तब तक शायद उन्हें मौका ना मिले। और यही वह वजह है जिस कारण अमरिंदर पर सिद्धू लगातार हमलावर हैं। सिद्धू एक तीर से दो काम कर रहे हैं। पहला कि वह अमरिंदर को कमजोर कर रहे हैं तो दूसरा कांग्रेस नेतृत्व पर भी दबाव बना रहे हैं।सिद्धू ट्विटर के जरिए भी लगातार कैप्टन अमरिंदर सिंह पर हमला कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर कैप्टन अमरिंदर सिंह का एक वीडियो शेयर करते हुए सिद्धू ने ट्वीट किया कि अफसोस! गृहमंत्री की नाकाबिलियत के कारण सरकार हाईकोर्ट के वह निर्देश मानने के लिए मजबूर है जिसके विरोध में पंजाब के लोग हैं। इसके आगे सिद्धू ने कहा कि नई एसआईटी को 6 महीने और देने का मतलब सरकार के सबसे बड़े चुनावी वायदे को बदकिस्मती के साथ आने वाली मतदान की आचार संगीता लागू होने तक और लटकाना है। उन्होंने एक और ट्वीट में कैप्टन पर हमला करते हुए कहा कि इंसाफ के लिए जानबूझकर देरी लोकमत के साथ विश्वासघात है।भले ही पंजाब में कांग्रेस सत्ता में है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भी उसके प्रदर्शन अच्छे रह सकते हैं, इसकी भी उम्मीद की जा रही है। लेकिन पार्टी के अंदर सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। इसकी शुरुआत तब हुई थी जब अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच मनमुटाव की खबरें सार्वजनिक हुई। गिने-चुने कुछ ही राज्यों में कांग्रेस की सरकार है। लेकिन वहां भी पार्टी के अंदर गुटबाजी आने वाले दिनों में उसके लिए हानिकारक साबित हो सकती हैं। छत्तीसगढ़ में भी गुटबाजी की खबरें रहती है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में तो हमने प्रत्यक्ष रूप से देख ही लिया और पंजाब में भी उठापटक लगातार जारी रहता है। पंजाब में अमरिंदर सिंह और सिद्धू के बीच मुलाकात तो जरूर हुई लेकिन मामला बनता दिखाई नहीं दे रहा।अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस चाहती है कि वह एकजुट होकर इस में उतरे। यही कारण है कि वह बार-बार सिद्धू हो या अमरिंदर, दोनों को मिलाने की कोशिश में रहती है। कांग्रेस खुद को मजबूत दिखाने की कोशिश में जरूर है। लेकिन यह बात भी सच है कि वह बाहरी मुश्किलों से ज्यादा आंतरिक चुनौतियों का सामना कर रही है। यह चुनौतिया पार्टी के अंदर जारी गुटबाजी के कारण ही है। कहा जा रहा है कि जिन नेताओं ने सीएम बनने का ख्वाब देखा है वह अब कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री के रूप में पचा नहीं पा रहे। उनकी चाहत अब यह है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह की जगह उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया जाए। नवजोत सिंह सिद्धू, प्रताप सिंह बाजवा, शमशेर सिंह दूलो और अमरिंदर सिंह बरार ऐसे कई नेता और भी है जो लगातार सीएम बनने की इच्छा जाहिर करते रहे हैं।
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कृषि कानून: किसान महासम्मेलन में समर्थन जुटाने के लिए भगवंत मान ने की तीन जनसभाएं
चंडीगढ़। आम आदमी पार्टी (आप) की पंजाब इकाई के अध्यक्ष भगवंत मान ने केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को मजबूती देने के लिए 21 मार्च को होने वाले पार्टी के ‘किसान महासम्मेलन’ के वास्ते समर्थन जुटाने के लिए मनसा में शनिवार को तीन जनसभाएं कीं। संगरूर से आप सांसद ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल इस कार्यक्रम के लिए दिल्ली आयेंगे। उलाख, मखा और खड़क सिंह वाला गांवों में अपनी सभाओं में मान ने लोगों से देश को यह दिखाने के लिए मोगा जिले के भागपुरान में इस किसान महासम्मेलन में बड़ी संख्या में पहुंचने की अपील की कि किसान आंदोलन अब भी मजबूत है।
पार्टी के एक बयान के अनुसार मान ने कहा, ‘‘जब अरविंद केजरीवाल किसानों के मुद्दों के बारे में बोलते हैं तो देश सुनता है। लेकिन हमें जो करने की जरूरत है, वह यह है कि हमें दिखा देना है कि पंजाब के लेाग किसानों के पक्ष में खड़े हैं। हमें दिखा देना है कि हम एकजुट हैं।’’ इस बीच, पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता और आप नेता हरपाल सिंह ने इस कार्यक्रम के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए अमृतसर के अजनाला में रोडशो किया।
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पंजाब आप में भूचाल ; भगवंत मान व अरोड़ा का इस्तीफा, 15 MLA ने की बगावत
चंडीगढ़। दिल्ली के मुख्यमंत्री व आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल द्वारा ड्रग्स तस्करी के आरोप लगाए जाने के बाद पूर्व मंत्री विक्रम मजीठिया से लिखित माफी मांगने से आम आदमी पार्टी में में भूचाल आ गया है। पार्टी की पंजाब इकाई ने खुली बगावत कर दी है। अाप के 15 विधायकों ने केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पार्टी के प्रदेश प्रधान भगवंत मान ने अपने पद से इस्तीफे का ऐलान किया, ताे उसके बाद उपप्रधान अमन अरोड़ा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
दूसरी ओर, आप विधायकों ने अगल रास्ता अख्तियार करने के संकेत दिए हैं। बताया जाता है कि अाप विधायक दल की बैठक में आप की राष्ट्रीय इकाई से नाता तोड़ने की बात उठी है। उधर, बैंस ब्रदर्स ने भी अपनी पार्टी का आप से नाता तोड़ लिया है। अाप के 15 विधायकों ने केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विधायकों का यह गुट सांसद धर्मवीर गांधी व पूर्व संयोजक सुच्चा सिंह छोटेपुर को साथ पंजाब में आम आदमी पार्टी के 20 विधायक हैं और आज आप विधायक दल की बैठक चंडीगढ़ में हो रही है। पहले दौर की बैठक में केजरीवाल के माफी मांगने की निंदा की गई। सूत्रों का कहना है कि बैठक में राष्ट्रीय इकाई से पूरी तरह नाता तोड़ने और अलग राह पर चलने की बात थी उठी। इस पर अब शाम में होनेवाली दूसरे चरण की बैठक में चर्चा होगी और कोई फैसला किया जा सकता है। बैठक में आप विधायक दल के नेता सुखपाल सिंह खैहरा के तेवर सबसे अधिक तीखे थे।
भगवंत मान ने पंजाब आप के प्रधान पद से इस्तीफा दिया
आप नेताओं ने दिए संकेत, अब पंजाब में केजरीवाल की नहीं चलेगी
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पंजाब आप के प्रधान भगवंत मान ने आज पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया। उन्होंने इस सबंध मेें ट्वीट किया। उन्होंने ट्वीट किया में लिखा है, ' मैं पंजाब आप के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहा हूं। ...लेकिन ड्रग माफिया और सभी तरह के भ्रष्टाचार के खिलाफ मेरी लड़ाई जारी रहेगी। मेरी यह लड़ाई पंजाब के 'आम आदमी' के तौर पर जारी रहेगी। ' खुद को पंजाब का आम आदमी बताकर उन्होंने एक तरह से आम आदमी पार्टी छाेड़ने का भी संकेत दे दिया। पार्टी के उपप्रधान व सुनाम के विधायक अमन अरोड़ा ने भी पद से इस्तीफा दे दिया है। अरोड़ा ने ट्विटर के जरिये यह जानकारी सांझा की है।
इससे पहले आप के नेताओं सुखपाल खैहरा, प्रदेश उपाध्यक्ष अमन अरोड़ा व वरिष्ठ नेता कंवर संधू ने कहा कि केजरीवाल ने उनसे सलाह-मशविरा किए बिना ही यह मदम उठाया है। इससे न केवल पार्टी की प्रतिष्ठा को धक्का लगा है बल्कि नशे के खिलाफ लड़ी जा रही लड़ाई को भी आघात पहुंचेगा। खैहरा व संधू ने ट्वीट किया है कि अरविंद केजरीवाल द्वारा मांगी गई माफी से हम बहुत हैरान हैं और हमें यह कबूल करने में भी कोई हिचक नहीं है कि केजरीवाल ने इस मामले में माफी मांग ली है।
कंवर संधू ने आगे कहा कि वह अब भी इस मामले की जांच सीबीआई से जांच करवाने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ भी केबल माफिया ने केस किया हुआ है लेकिन वह अंत तक इस लड़ाई को पहुंचाएंगे, इसमें डरने की कोई जरूरत नहीं है।
विधानसभा में आप के उपनेता व प्रदेश उपाध्यक्ष अमन अरोड़ा ने भी कहा है कि इस मामले में उनसे कोई सलाह-मशविरा नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि विधानसभा में आज सभी विधायकों की मीटिंग सरकार के एक साल के कार्यकाल को लेकर बुलाई गई है। इसमें निश्चित रूप से केजरीवाल द्वारा मांगी गई माफी के बाद पैदा हुए हालात पर भी चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि केजरीवाल द्वारा माफी मांगने से पहले पंजाब की टीम से सलाह मशविरा किया जाना चाहिए था।
पत्रकारों से बात करते सिमरजीत सिंह बैंंस और बलविंदर सिंह बैंस।
शाम में लोक इंसाफ पार्टी ने आम आदमी पार्टी से नाता तोड़ने की घोषणा कर दी। सिमरजीत सिंह बैंस और बलविंदर सिंह बैंस ने यहां कहा कि अरविंद केजरीवाल ने पूरे पंजाब के साथ धोखा किया है। ऐसे में वह उनकी आम आदमी पार्टी के साथ कोई नाता नहीं रख सकते।
उल्लेखनीय है कि अरविंद केजरीवाल ने बिक्रम मजीठिया को ड्रग तस्कर बताते हुए चुनाव के दौरान उनके खिलाफ बड़ा मोर्चा खोले रखा था। यही नहीं उन्होंने अपने पार्टी के वर्करों से तो यहां तक कह दिया कि वह गांव-गांव और गली-गली में मजीठिया तस्कर है के पोस्टर लगा कर रखें।
अरविंद केजरीवाल के इस फैसले से आम आदमी पार्टी को बहुत बड़ा धक्का पहुंचा है। अब जबकि अगले हफ्ते बजट सेशन शुरू होने वाला है और आप के नेता ड्रग्स और रेत खनन के मामले को लेकर सरकार और अकाली दल को घेरने की तैयारियां कर रहे हैं। ऐसे में उनके शीर्ष नेता द्वारा माफी मांगने से पार्टी नेता बुरी तरह से पस्त हो गए हैं। खैहरा, संधू के ट्वीट से साफ है कि वे केजरीवाल के इस कदम से कतई सहमत नहीं हैं। हालांकि पार्टी नेता पहले भी यह आरोप लगाते रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल कोई भी कदम उठाने से पहले किसी से भी सलाह-मशवरा नहीं करते और इस मामले में भी उन्होंने ऐसा ही किया है।
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हाईकोर्ट का फैसला, हरियाणा में जाट समेत 6 जातियों के आरक्षण पर जारी रहेगी रोक
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा में जाटों सहित छह जातियों को पिछड़े वर्ग के तहत दिए गए आरक्षण के लाभ पर अपना फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट ने हरियाणा में जाट समेत 6 जातियों के आरक्षण पर लगी रोक को जारी रखा है। साथ ही हाईकोर्ट ने नेशनल बैकवर्ड कमीशन को 2018 तक रिपोर्ट देने को कहा है। यानि अब अब जाटों सहित छह जातियों को आरक्षण देने या नहीं देने का फैसला पिछड़ा वर्ग आयोग करेगा। जस्टिस एसएस सारों, जस्टिस लीजा गिल की खंडपीठ ने यह फ़ैसला सुनाया है।हरियाणा सरकार को 30 नवंबर तक बैकवर्ड कमीशन को क्वांटिफेबल डाटा उपलब्ध करवाना होगा। 31 दिसंबर तक इस डाटा को लेकर आपत्तियां दर्ज की जा सकती है तथा 31 मार्च से पहले बैकवर्ड कमीशन को जाट आरक्षण पर निर्णय लेना होगा। हाईकोर्ट में इन आदेशों के साथ ही जाटों को आरक्षण देने या ना देने का फैसला बैकवर्ड कमीशन पर छोड़ दिया है।
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की गिरफ़्तारी के बाद पंचकूला में हुई हिंसा को लेकर अभी भी हरियाणा के सीएम मनोहर लाल की जमकर आलोचना हो रही है। ऐसे में खट्टर के लिए एक बार फिर इम्तहान की घड़ी आ गई है। ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि पिछले साल जाट आंदोलन के दौरान प्रदेश में भयंकर हिंसा हुई थी। इस आंदोलन में 30 लोगों की मौत हो गई थी। इतना ही नहीं जाटों की तरफ से विरोध-प्रदर्शनों के दौरान कई जगहों पर आगजनी की गई थी जिसमें अरबों रुपए की संपत्ति को बड़ा नुकसान पहुंचा था।
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पठानकोट के मामून में मिलिट्री स्टेशन के पास संदिग्ध बैग मिला, सर्च ऑपरेशन जारी
पंजाब के पठानकोट के मामून में मिलिट्री स्टेशन के पास संदिग्ध बैग मिला है। इस बैग में सेना की 3 वर्दियां मिली हैं। जिसके बाद पूरे इलाके में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। वहीं सेना और स्वात टीम पूरे इलाके की तलाशी ले रही है। बता दें कि जनवरी 2016 में में पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले में 7 जवान शहीद हो गए थे।
इसी साल मार्च में इंटेलिजेंस एजेंसियों की सूचना के आधार पर पठानकोट एयरबेस पर हाई अलर्ट किया गया था और सुरक्षा भी बढ़ाई गई थी। उस दौरान एजेंसियों को आतंकियों के पठानकोट में घुसने की सिक्रेट जानकारी हाथ लगी थी। बताया गया था कि एयरबेस और मामून छावनी पर आतंकी हमले का खतरा है। इसके बाद आर्मी, एयरफोर्स, पंजाब पुलिस और हिमाचल प्रदेश पुलिस के 500 जवानों का ज्वाइंट सर्च ऑपरेशन चलाया गया था।
पिछले साल पठानकोट एयरबेस पर हुआ था हमला
बता दें कि 2 जनवरी, 2016 को 6 पाकिस्तानी आतंकियों ने पठानकोट एयरबेस पर हमला किया था। इसमें 7 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले के बाद 36 घंटे तक आतंकियों से मुठभेड़ होती रही थी और तीन दिन तक कॉम्बिंग ऑपरेशन चलाया गया था। हमले में जैश-ए-मोहम्मद का चीफ मौलाना मसूद अजहर को मास्टरमाइंड बताय गया था। उसे 1999 में कंधार प्लेन हाईजैक केस में यात्रियों की रिहाई के लिए के बदले छोड़ा गया था।
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नाकाम कोशिश: BSF ने गुरदासपुर में महिला पाक घुसपैठिए को मार गिराया
सोमवार सुबह पंजाब के गुरदासपुर मे बीएसएफ ने पाक घुसपैठिया को मार गिराया है। वो घुसपैठिया एक 60 साल की महिला थी। हालांकि आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन बताया जा रहा है कि आज सुबह तीन बजे जवान ने महिला घुसपैठियों की कोशिश नाकाम की।
गुरुदासपुर के भरियाल में जब वो महिला आईबी से 60 मीटर अंदर आ गई और आवाज देने पर नहीं रुकी तब उसपर गोली चलाई गई। इतना ही नहीं वह फेंसिंग के 20 मीटर अंदर आ गई तो हालात को देखते हुए बीएसएफ ने उसे गोली मार दी।
इन दिनों सीमा पर पाक की ओर से लगातार सीजफायर का उल्लघंन हो रहा है और घुसपैठिए लगातार सीमा पर घुसने की कोशिश कर रहे हैं। बीएसएफ की ओर से बयान आया है कि अब किसी भी तरह का कोई रिस्क लेना ठीक नहीं है। आतंकी अपनी फिराक में रहते हैं। ऐसे में हमें सतर्क रहने होते हैं।
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