मेरे कुछ शब्द
धन्य हैं वो लोग जो दूसरो के विचारों और उनके जन-जन तक पहुंचते देखने की तमन्ना का सम्मान करते
हैं, जो अपने को संघर्ष में खड़ा कर दूसरों को सुख प्रदान करने को तत्पर रहते हैं, जो समाज के लिए कुछ न कुछ करने की इच्छा रखते हैं। मैं अपने पति प्रभात त्रिपाठी को इनमे से एक मानती हूँ,
जिनके अथक प्रयासों, हिम्मत और इच्छा शक्ति से हिंदी दैनिक समाचार पत्र
समाजवाद का उदय उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सफलता पूर्वक
संचालन कर रही हूँ और आज उसे आप सभी के सहयोग, मार्गदर्शन और हिंदी के प्रचार प्रसार की हार्दिक इच्छा के साथ वेब मीडिया को भी समर्पित कर रही हूँ।
हिंदी से स्नातकोत्तर और संगीत की तबला वादन विधा में मुझे संगीत गुरुओं का आशीर्वाद मिला है। यह मेरा
सौभाग्य है
कि
मुझे हिंदी के ऐसे मंच पर काम करने का अवसर मिला है, जिसका सर्वत्र महत्व है।
'समाजवाद का उदय' का इतिहास करीब पंद्रह वर्ष पुराना है। इस दौरान हमने अनेक बार निराशाजनक कठिन स्थितियों का सामना किया है। कई दौर आए जब लगा
कि हिम्मत जवाब दे रही है,
किंतु मैं हिंदी के
महान हितरक्षक श्री मुलायम सिंह यादव जी की
प्रेरणाओं और उनके अनन्य सहयोग के लिए कृतज्ञ हूँ। हिंदी-उर्दू के प्रति उनके अनुराग और इन भाषाओं के
प्रोत्साहन के फलस्वरुप ही यह पंद्रह वर्ष का समय समाचार पत्र की संघर्षपूर्ण प्रगति का साक्षी बना है। यहाँ मैं कई भावनापूर्ण अवसरों को
याद कर रही हूँ, जब हमने इस समाचार पत्र की प्राण प्रतिष्ठा की थी।
'समाजवाद का उदय' इस बात का प्रमाण है
कि पत्रकारिता कोई खेल नहीं है, अपितु समाज के प्रति एक प्रतिज्ञा है और प्रतिज्ञा का महत्व आप जानते
हैं, जिसमे पीछे मुड़कर देखने की मनाही है और आगे
बाधाओं की एक श्रंखला है, जिसे सफलतापूर्वक पूरा करना
ही है, तथापि हमने पत्रकारिता
धर्म निभाने की पूरी
चेष्टा की है। अब हम वेब मीडिया के माध्यम से आपके बीच है
और आशा
करते
हैं कि आप www.samajwadkauday.com
हिंदी समाचार पोर्टल और
ई-पेपर पर पधार कर अपने महत्वपूर्ण सुझावों को हम तक पहुचाएंगे, आखिर यह पोर्टल आपका
जो है।
पंद्रह
वर्ष के
इस संघर्ष
में आप सबके सहयोग से इस अवसर को प्राप्त करना
हमारे लिए बहुत ही रोमांचकारी एवं प्रेरणाप्रद है, क्योंकि मेरी अभिलाषा थी
कि मैं अपने विचारों को जन-जन तक पहुचाऊं, जिसे पूरा करने में मेरे पति
श्री प्रभात त्रिपाठी ने हिम्मत से न जाने कितने अवरोधों को
निर्मूल किया-उनका कोटि-कोटि धन्यवाद। हिंदी पत्रकारिता के सामने जो चुनौतियाँ
हैं, उनका सामना कोई आसान नहीं है, जिन्होंने भी हमारी राह को आसान बनाया, उन्हें
'समाजवाद का उदय' प्रबंधन भला कैसे भूल सकता है, उनको भी धन्यवाद देती हूँ।
ममता त्रिपाठी
संपादक एवं स्वामी
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मेरे भी कुछ शब्द
सन् 1985 मेरे जीवन का वह भावना प्रधान वर्ष है, जब मैंने इटावा में महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, समाजसेवी और विख्यात पत्रकार पंडित देवी दयाल दुबे के मार्गदर्शन में हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखा। वे इटावा से प्रका
शित दैनिक देश धर्म के स्वामी और संपादक थे, जहाँ मेरी पत्रकारिता की पाठ
शाला लगी और मैं उसमें एक प्र
शिक्षणार्थी के रूप में पत्रकारिता के क, ख, ग से रू-ब-रू हुआ। पंडित देवी दयाल दुबे सचमुच में कलम के बड़े योद्धा थे, वे अपने में एक जीवंत पाठ्यक्रम थे, मेरे लिए उनकी छत्रछाया मुझे वह सौभाग्य प्रदान करती है, जिसकी हर कोई इच्छा रखता है। उनकी पत्रकारिता आज के मुकाबले ज्यादा चुनौतीपूर्ण थी-ना कोई संसाधन, ना आज के
जैसा पैसा और
ना ही वह रोजगारपरक
मानी जाती थी, क्योंकि उसे ‘मिशन’ के कपड़े पहनाये गये थे, इसलिए सामाजिक जीवन में नैतिकता का भारी बोझ उठाये पत्रकारिता से
मिशन भाव से काम करने की बड़ी उम्मीदे थीं,
इसी से प्राप्त नैतिकता आज मेरी संपत्ति है। पंडित देवी दयाल दुबे कड़े अनुशासनप्रिय भी थे, जिनके संरक्षण में मुझे पत्रकारिता के वो संस्कार मिले, जिनसे मैंने कभी समझौता नहीं किया और आज उन्हीं के कारण उत्तर प्रदे
श की राजधानी लखनऊ की पत्रकारिता में मुझे जो हासिल हुआ, उसका प्रतिफल हिंदी दैनिक समाजवाद का उदय समाचार पत्र के रूप में मेरे सामने है और मेरे सामने है-वह संपूर्ण सामाजिक क्षेत्र, जिसमें मुझे मान-सम्मान और पत्रकारिता में निर्भय रूप से खड़े होने का हौंसला मिला है।
वर्ष 1992 में मैं इटावा से लखनऊ आया। मैंने उसी मिशनरी भाव से पत्रकारिता में कार्य
किया। यहाँ पेशेवर संघर्ष और अनवरत चुनौतियों से मेरा सामना हुआ, जिसमें मुझे वह भी
मिले जो धैर्य एवं प्रोत्साहन के मर्म
शील हैं और उनसे भी सामना हुआ जो किसी को भी
फलते-फूलते नहीं देख सकते। पेशेवर संघर्ष में खड़े मेरे जैसे संसाधन विहीन
व्यक्ति के लिए एक समाचार पत्र की कल्पना करना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन मैं
उन्हें कोटि-कोटि धन्यवाद देना चाहूँगा, जिन्होंने समाजवाद का उदय समाचार पत्र के
विकास का मार्ग प्र
शस्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। मेरी पत्नी ममता
त्रिपाठी का हिंदी साहित्य से अनुराग मेरे लिए वरदान साबित हुआ है। इस कारण मुझे एक
ऐसा परम् सहयोगी भी मिला, जो न केवल हिंदी साहित्य का सेवी है, बल्कि अपने विचारों
को जन-जन तक पहुँचाने की इच्छा रखता है।
निश्चित रूप से ममता त्रिपाठी! तुम बधाई
की पात्र हो, जो
मेरी एक परम् सहयोगी के रूप में
'समाजवाद का उदय' का कंधा से कंधा मिलाकर
संचालन कर रही हो।
हमें इस बात की कोई चिंता नहीं है कि समाजवाद का उदय अपने सादे
जीवन के दौर से गुजर रहा है और औरों की तरह उस तड़क-भड़क में शामिल नहीं है,
जैसाकि और
शामिल हैं
। हमें गर्व है कि हम सच के साथ खड़े हैं और सच्चाई के साथ ही
समाजवाद का उदय की उत्तरोत्तर प्रगति देख रहे हैं। इस समाचार पत्र ने
हमें लखनऊ में
एक पहचान दी है और समाजवादी विचारधारा के प्रसार का अवसर प्रदान किया है। मैंने
स्वच्छ पत्रकारिता के लिए सबसे पहले अपनी संपत्ति की घोषणा की है, जिसके बाद
राजधानी में पत्रकारों के बीच मीडिया कर्मियों में एक बहस और नैतिकता का दबाव सामने
आया है। मैं मानता हूँ
कि
इस दौर में पत्रकारिता की साख को बहुत धक्का लगा है और सभी के सामने यह चुनौती है कि इस पर
आँच न आये, क्योंकि यह समाजवाद और न्याय की स्वतंत्र प्रहरी है। करीब 28 वर्षों
के पत्रकारिता जीवन में आज हम एक नये युग की तरफ जा रहे हैं, जिसे बेव मीडिया कहा जाता
है जिसने पूरे
विश्व में एक नयी समाचार और सूचना क्रांति को जन्म दिया है, जो बदलाव
के एक
बड़े कारक के रूप में उभर रही है, इसलिए हम भी इसमें समाजवाद का उदय समाचार
पत्र को शामिल कर रहे हैं। 'समाजवाद का उदय'
में मैं ब्यूरो प्रमुख के रूप में
अपनी जिम्मेदारियों के साथ उपस्थित हूँ और आप सभी से आशा करता हूँ कि हिंदी की इस
मशाल को और तेजी से प्रज्जवलित होते देखने में आप भी हमें अपना
आशीर्वाद और सहयोग
देंगे।
प्रभात त्रिपाठी
ब्यूरो प्रमुख
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